ममलेश्वर महादेव मंदिर करसोग हिमाचल

हिमाचल प्रदेश की करसोग घाटी के ममेल गांव में स्थित ममलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह महाभारत कालीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय इसी गांव में बिताया था। इस मंदिर का निर्माण उन्हीं के द्वारा कराया गया था। यह मंदिर पैगोड़ा मिश्रित शैली में बना हुआ है।


यहां एक बहुत बड़ा ढोल है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह पांडु पुत्र भीम का है। इस मंदिर में एक धूनी है, जिसके बारे में प्रचलित विश्वास है कि यह महाभारत काल से निरंतर जल रही है। इसके पीछे एक कहानी है- जब पांडव अज्ञातवास में घूम रहे थे तो वे कुछ समय के लिए इस गांव में रुके। तब इस गांव में एक राक्षस ने एक गुफा में डेरा जमाया हुआ था। उस राक्षस के प्रकोप से बचने के लिए गांव के लोगों ने उसके साथ एक समझौता किया हुआ था कि वे रोज एक आदमी उसके भोजन के लिए खुद उसके पास भेजेंगे, ताकि वह सारे गांव को एक साथ ना मारे। एक दिन उस घर के लड़के की बारी आई, जिसमें पांडव रुके हुए थे। उस लड़के की मां को रोता देख पांडवों ने कारण पूछा तो उसने बताया- ‘आज मुझे अपने बेटे को राक्षस के पास भेजना है।’ अपना अतिथि धर्म निभाने के लिए भीम उस लड़के की बजाय खुद उस राक्षस के पास गये। भीम जब उस राक्षस के पास गये तो उन दोनों में भयंकर युद्ध हुआ और भीम ने उस राक्षस को मार कर गांव को उससे मुक्ति दिलाई। कहते हैं कि भीम की इस विजय की याद में ही यह अखंड धूनी चल रही है।
5 हजार साल पुराना गेहूं का दाना
 
 
उस काल का एक गेहूं का दाना आज भी यहां रखा हुआ है। इस गेहूं के दाने का वजन करीब 200 ग्राम है। आकार में यह एक बड़े आम के बराबर है। गंदा न हो जाए, इसलिए इसे एक लकड़ी के बॉक्स में बंद कर दिया गया है, जिसके ऊपर पारदर्शी कांच लगा है। 









पांच शिवलिंगों की अनोखी कहानीयहां प्रचलित मान्यता के अनुसार इस मंदिर में पांच पांडवों के पांच शिवलिंग भी स्थापित हैं। यह भी धारणा है कि भगवान परशुराम ने करसोग घाटी में 80 शिवलिंगों की स्थापना की थी और 81वां शिवलिंग भगवान शिव की प्रतिमा के रूप में इस मंदिर में स्थापित किया था। मंदिर की काष्ठ कला और शैली उत्कृष्ट है। मंदिर के मुख्य भवन की चारों ओर दीवारों पर काष्ठ मूर्तियां बनी हैं। मंदिर की मुख्य इमारत लकड़ी की है। लकड़ी की दीवारों पर बेहतरीन नक्काशी है, जिसमें देवी-देवताओं के साथ अन्य मूर्तियां उकेरी गई हैं। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शंकर व मां पार्वती की मूर्ति युगल के रूप में स्थापित है। मंदिर के प्रवेश द्वार के ऊपर भी शिव-पार्वती की युगल मूर्ति है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि यह दुनिया का इकलौता मंदिर है, जिसमें शिव-पार्वती की मूर्तियां युगल के रूप में हैं। इस मंदिर की 10-11वीं शताब्दी की विष्णु और लक्ष्मी की दोनों मूर्तियां भी उल्लेखनीय हैं। इन मूर्तियों में अंगोपांग तथा अलंकरण का विस्तारपूर्वक अंकन हुआ है। दोनों ही मूर्तियों में विष्णु को अपने वाहन आदमकद गरुड़ पर बैठे हुए दिखाया गया है। मूर्तियों को देखने से यह स्पष्ट होता है कि मूल रूप से यह मंदिर नागर शैली का रहा होगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने भी मंदिर के प्राचीन होने की पुष्टि की है। मंदिर में कई महाभारतकालीन मूर्तियां हैं।

कैसे पहुंचे ममलेश्वर मंदिर

ममलेश्वर मंदिर जाने के लिए आप हिमाचल पहुंचकर मंडी और शिमला दोनों रास्तों से करसोग पहुंच सकते हैं। ममलेश्वर महादेव का मंदिर करसोग बस स्टैंड से मात्र दो किलोमीटर दूर है।

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