मलाणा जमदग्निरिशि का पवित्र स्थान

जी हाँ मलाणा भारत बर्ष का एक ऐसा गावों है जिसका अपना ही अस्तितुव है । ये जमदग्निरिशि का पवित्र स्थान है कहा जाता है कि यहाँ बाणा सुर का राज्य था साथ में पुरे हिमालय की चोटियों पर राज करता था ।अचानक महाऋषि का पाला बाणा सुर से पड़ गया।और दोनों राज्य के पीछे झगड़ने लगे ।


अचानक बाणा सुर ने घोर युद्ध की बात कही बाणा सुर जानता था की वह शक्तिशाली है और ऋषि हार जायेगा ।बाणा ने ऋषि महाराज से एक शर्त की बात कही कि जो इस युद्ध में हारेगा उसे इस जगह को छोड़ना होगा ।शर्त मंजूर हो गयी ।सालों बीत गयी युद्ध होता रहा युद्ध में बाणा सुर हार गया ।बाणा सुर युद्ध हार गया और ऋषि महाराज से कहता ,प्रभु मुझे माफ़ करो अब जाने की इजाजत दो ।

तब ऋषि महाराज ने कहा मांगो क्या चाहते हो बाणा ने कहा प्रभु मझे और कुछ नहीं चाहिये केबल एक बच्चन दो कि यहाँ जब कोई गाँव बसे तो मेरे दुवारा बोली जाने बाली भाषा इस गाँव के लोग बोले ,बाणा चला गया ,यहाँ वही राक्षसी भाषा आज भी बोली जाती है,तथा ये भारत का ऐसा पहला गाँव है जहाँ इन लोगों का अपना प्रशाशन है यहाँ कोई भी फैंसले देव निति से किये जाते हैं और अपने ही कानून अपनाते है ,यहाँ देव निति के तीन सदन है ऊपरी सदन ,निचला सदन ,व् मद्य सदन ।इस मलाणा गांव का अपना ही लोकतन्त्र है जिस पर सरकार भी दखलअंदाजी नही करती ।

मलाणा जिला कुल्लू से 45 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है और मनिकरण ,जरी से लगभग 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है जहाँ जमदग्नि ऋषि की तपोभूमि है मलाणा गाँव चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है कहा जाता है कि जिसकी मनोकामना कभी पूरी ही नही हुई इस पवित्र स्थान पर जाकर पूरी होती है,,,,,, जय बोलो जमदग्निरिशि की,,,,,।

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