Shikari devi temple mandi himachal pradesh

यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी नामक स्थान पर स्थित है। यहां मां शिकारी देवी विराजमान है। इस मंदिर के साथ जुड़ी कई मान्यताएं और भी रहस्यमय हैं।

कहा जाता है कि यहां मार्कंडेय ऋषि ने तपस्या की थी। जब उन्हें तपस्या करते बहुत साल बीत गए तो मां दुर्गा प्रकट हुई थीं। मंदिर का रिश्ता पांडवों से भी बताया जाता है। कहते हैं कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इसी स्थान पर मां दुर्गा की तपस्या कर वरदान प्राप्त किया और बाद में कुरुक्षेत्र युद्ध में विजयी हुए। विजयश्री का वरदान पाकर पांडवों ने यहां माता के मंदिर का निर्माण किया।



पांडवों ने मंदिर का निर्माण करवा दिया और उसमें मूर्ति भी स्थापित कर दी लेकिन किसी कारण से वे छत नहीं लगा सके। मूर्ति स्थापना के बाद वे यहां से चले गए और आज तक यह मंदिर बिना छत का है। पांडवों के अचानक जाने की वजह क्या थी?



इसका पुख्ता जवाब किसी के पास नहीं है। कुछ श्रद्धालुओं का मानना है कि उस दौरान पांडव अज्ञातवास में थे। संभवतः यहां उनकी पहचान साबित होने का भय था, इसलिए वे चले गए। इस इलाके में हर साल बहुत बर्फ पड़ती है। बर्फ के कारण आसपास का क्षेत्र पूरी तरह कुदरत के सफेद रंग में रंग जाता है लेकिन मां के स्थान पर कभी बर्फ नहीं गिरती। लोगों का कहना है कि यह मां शिकारी देवी का चमत्कार है।


मंदिर के नामकरण के बारे में लोग कहते हैं कि बहुत पुराने जमाने में यहां घना जंगल था। तब यहां शिकारी आया करते थे, इसलिए मंदिर का नाम शिकारी देवी हो गया। लोगों का यह भी कहना है कि जो एक बार यहां मां भगवती का आशीर्वाद ले लेता है, मां उसके सभी दुखों का शिकार कर उसे सुखी और निर्भय बना देती हैं। हर साल यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं और मां के आगे शीश झुकाकर आशीर्वाद मांगते हैं, लेकिन उनके मन में भी यह सवाल जरूर उठता है कि इस मंदिर की छत क्यों नहीं बन पाई?

कहा जाता है कि कई लोगों ने यहां छत बनाने की कोशिश की लेकिन उनके सामने कई बाधाएं आईं और मंदिर की छत आज तक नहीं बन सकी।

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