पतल |
खाना (टोर नामक बेल) के पत्तों के द्वारा बनाई प्लेट यानी पतल में दिया जाता है। जिससे धाम का स्वाद चार गुना बढ़ जाता है। पेट तो भर जाता है लेकिन मन नहीं भरता।
हालांकि आज बहुत सा बदलाव हमारे रीति-रिवाजों, परम्पराओं में भी हुआ है लेकिन आज भी ज्यादातर हिमाचल में धर्म-आस्था, शादी-ब्याह, त्यौहार, उत्सव, अन्य मांगलिक कार्य, लोक संस्कृति मेलों आदि में हमारी परम्पराएं जीवित हैं। ये हमारे बुजुर्गों की पुराणिक परम्पराए, रीति-रिवाज हैं। जो हमेशा से कायम हैं और रहेंगे। इन्हीं से हमारे हिमाचल की ख़ास पहचान है न केवल देशों में अपितु विदेशों में भी।
Note- आपसे कृपया कॉपीराइट का दावा न करें यह सब भगवान द्वारा बनाया गया है !! कॉपीराइट का उपयोग उस चीज पर करें जिसे अपने खुद बनाया है !!
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